डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाओं की डोज तय कराएं।
जो लोग हाई ब्लडप्रेशर से पीडि़त हैं, उन्हें खानपान में नमक की मात्रा कम से कम करनी चाहिए। उन्हें नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करनी या करानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि उनका ब्लड प्रेशर सामान्य रेंज में है या नहीं। यदि नहीं तो फिर डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाओं की डोज तय कराएं। नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करानी चाहिए। इससे यह पता चल सके कि उनका ब्लड प्रेशर सामान्य है या नहीं।
सर्दियों में दिल के दौरे के मामले बढ़े
सर्दियों में दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं। हृदय रोगियों को कड़ाके की ठंड से बचना चाहिए।
हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगियों को टहलने की आदत को बरकरार रखना चाहिए, लेकिन उन्हें तड़के और देर शाम नहीं टहलना चाहिए।
खिली धूप निकलने के बाद ही टहलने जाएं।
जिन लोगों के दिल की मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं, ऐसे लोगों में सांस लेने में तकलीफ की समस्या पैदा हो सकती है। इन लोगों के पैरों में सर्दियों के मौसम में पैरों में सूजन हो जाती है। ऐसे लोगों को कुछ ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जिनसे मरीजों को पेशाब ज्यादा होता है, जिससे उनके शरीर में से अतिरिक्त पानी निकल जाता है।
इन पीडि़त लोगों के संदर्भ में अगर हृदय रोग विशेषज्ञ साल्ट कम लेने और पानी कम पीने की सलाह देते हैं, तो सर्दियों के मौसम में विशेषज्ञ की इस सलाह पर सख्ती से अमल करना चाहिए। अगर कोई भी तकलीफदेह लक्षण सामने आएं, तो शीघ्र ही हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
सर्दियों में सीने में संक्रमण, दमा और ब्रॉन्काइटिस की समस्याओं के गंभीर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हृदय रोग से ग्रस्त है, तो उपर्युक्त रोगों से उसकी हालत और भी खराब हो सकती है। ऐसी स्थिति आने के पहले ठंड से और प्रदूषण से बचने के लिए हरसंभव उपाय करें। शरीर को गर्म रखने के लिए पर्याप्त ऊनी वस्त्र पहनें। सांस संबंधी किसी भी तकलीफ के सामने आने पर शीघ्र इलाज कराएं। इस मौसम में कुछ विशेष तरह के संक्रमण ज्यादा खतरनाक होते हैं, जिनमें इंफ्लुएंजा और न्यूमोकोकल संक्रमण प्रमुख हैं। इनसे बचाव के लिए डॉक्टर से संपर्क कर टीका लगवाएं।