नईदिल्ली(ए)। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जाने वाले एक्सिओम-4 मिशन को 10 जून शाम 5:52 बजे तक टाल दिया गया है। अब यह लॉन्च फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिये होगा। यह घोषणा Axiom-4 मिशन के चालक दल के सदस्यों के साथ एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई, जो ISS की यात्रा से पहले वर्तमान में क्वारंटीन में हैं। इस मिशन को पहले 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन बाद में इसे 8 जून तक के लिए टाल दिया गया था। अब इस मिशन को 10 जून के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है। शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बनेंगे। उनसे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के सोयुज अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष उड़ान भरी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ISS में 14 दिनों के प्रवास के दौरान एक्सिओम-4 क्रू से बातचीत करने की उम्मीद है। इस बारे में पूछे जाने पर शुभांशु शुक्ला ने कहा, ‘हम एक भारतीय वीवीआईपी के साथ बातचीत करेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि एक्सिओम-4 क्रू स्कूली छात्रों, शिक्षकों और भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के सदस्यों से बातचीत करेगा।
शुभांशु शुक्ला ने आगे कहा कि भारत के लोगों के लिए यह मिशन एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि मैं भारत से इस मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना करने की अपील करता हूं। यहां तक कि सितारों को भी हासिल किया जा सकता है, जय हिंद।
आम का रस, मूंग दान और गाजर का हलवा लेकर जाएंगे शुक्ला
शुक्ला ने कहा कि वह अंतरिक्ष उड़ान पर आम का रस, मूंग दाल का हलवा और गाजर का हलवा जैसे भारतीय व्यंजन ले जाएंगे। Axiom-4 मिशन में मिशन पायलट शुक्ला के अलावा, अन्य क्रू में पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी शामिल हैं। ये दोनों अपने देशों के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन पर जा रहे हैं।

60 वैज्ञानिक अध्ययन और गतिविधियां करेंगे अंतरिक्ष यात्री
डॉक किए जाने के बाद, अंतरिक्ष यात्री कक्षा में स्थित प्रयोगशाला में 14 दिन रहेंगे, जहां वे विज्ञान, शैक्षणिक कार्यक्रम और वाणिज्यिक गतिविधियां करेंगे। अंतरिक्ष यात्री ISS में 14 दिवसीय प्रवास के दौरान 31 देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए 60 वैज्ञानिक अध्ययन और गतिविधियां करेंगे।
शुभांशु शुक्ला भारत के लिए तैयार किए गए खाद्य और पोषण से जुड़े प्रयोग करेंगे, जो नासा के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा मिलकर बनाए गए हैं। इन प्रयोगों का उद्देश्य अंतरिक्ष पोषण और आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों का नेतृत्व करना है, जो भविष्य में लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्रा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसरो ने सात प्रयोगों का सेट तैयार किया
इसरो ने शुक्ला के लिए सात प्रयोगों का एक सेट तैयार किया है, जो नासा द्वारा अपने मानव अनुसंधान कार्यक्रम के लिए नियोजित पांच संयुक्त अध्ययनों में भी भाग लेंगे। इसने आईएसएस पर प्रयोगों को करने के लिए भारत-केंद्रित भोजन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना तैयार की है, जिसमें माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में मेथी (मेथी) और मूंग (हरा चना) को अंकुरित करना शामिल है।