नईदिल्ली(ए)। चीन से बढ़ते जासूसी खतरों के बीच भारत सरकार ने इंटरनेट आधारित सीसीटीवी कैमरों के नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इसके तहत सीसीटीवी कैमरा निर्माताओं को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड सरकारी लैब में परीक्षण के लिए जमा कराने होंगे। पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी कि चीन की कंपनियां भारत की जासूसी में शामिल हैं। सरकार की नई नीति के तहत अप्रैल से लागू नियमों में कहा गया कि चीन की हाइकविजन, शाओमी और दाहुआ, दक्षिण कोरिया की हानवा और अमेरिका की मोटोरोला सॉल्यूशंस जैसी कंपनियों को अपने कैमरे भारतीय सरकारी लैब में टेस्ट कराकर ही भारत में बेचने होंगे। नए नियम सभी इंटरनेट से जुड़े सीसीटीवी मॉडल पर 9 अप्रैल से लागू हो गए हैं। भारत के पूर्व साइबर सुरक्षा प्रमुख गुलशन राय ने कहा कि हमेशा जासूसी का खतरा बना रहता है। कोई भी इंटरनेट से जुड़े कैमरों को दूर से नियंत्रित कर सकता है। इसलिए यह सिस्टम मजबूत और सुरक्षित होने चाहिए। बता दें कि, पिछले कुछ वर्षों में भारत के तमाम शहरों, दफ्तरों और हाउसिंग सोसाइटी में लाखों सीसीटीवी लगाए गए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ दिल्ली में ही 2.5 लाख से ज्यादा कैमरे लगे हैं। 2021 में सरकार ने बताया था कि सरकारी संस्थानों में 10 लाख कैमरे चीनी कंपनियों के हैं और इनसे जुड़ा डाटा विदेशी सर्वरों पर भेजा जाता है, जिससे सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
चीन सीसीटीवी कैमरों से कर रहा जासूसी, भारत ने सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर टेस्टिंग की अनिवार्य
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