Home देश-दुनिया सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा

सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा

by admin
नईदिल्ली(ए)। संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार नियमों के अनुसार लोकसभा की गुप्त बैठक बुला सकती है, लेकिन इस प्रविधान का अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है।एक संवैधानिक विशेषज्ञ के अनुसार, वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की गुप्त बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस पर सहमत नहीं हुए थे।

कैसे बुलाई जाती है ऐसी बैठक?

उल्लेखनीय है कि ‘लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम’ के अध्याय-25 में सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठकें आयोजित करने के लिए सक्षम प्रविधान हैं। नियम-248 के उपखंड एक के अनुसार, सदन के नेता के अनुरोध पर अध्यक्ष सदन की गुप्त बैठक के लिए कोई भी एक दिन तय कर सकते हैं। उपखंड दो में कहा गया है कि जब सदन की गुप्त बैठक चलेगी तो किसी भी अजनबी को कक्ष, लाबी या गैलरी में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ऐसी बैठकों के दौरान अनुमति दी जाएगी।

क्या कहते हैं नियम?

इसी अध्याय में एक अन्य नियम के अनुसार, अध्यक्ष यह निर्देश दे सकते हैं कि गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट उसी तरीके से जारी की जाए जैसा अध्यक्ष उचित समझें। लेकिन कोई भी अन्य उपस्थित व्यक्ति गुप्त बैठक की किसी भी कार्यवाही या निर्णय का नोट या रिकार्ड नहीं रखेगा, चाहे वह आंशिक हो या पूर्ण, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा या उसका वर्णन करने का दावा नहीं करेगा। जब यह माना जाता है कि किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त हो गई है और अब यह अध्यक्ष की सहमति के अधीन है तो सदन का नेता या कोई अधिकृत सदस्य यह प्रस्ताव पेश कर सकता है कि ऐसी बैठक के दौरान की कार्यवाही को अब गुप्त नहीं माना जाए। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो लोकसभा महासचिव गुप्त बैठक की कार्यवाही की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसे जल्द से जल्द प्रकाशित करेंगे।

निर्णयों का नहीं कर सकते खुलासा

हालांकि, नियमों में चेतावनी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से गुप्त कार्यवाही या बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का खुलासा करना सदन के विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन माना जाएगा। संविधान विशेषज्ञ एवं पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि सदन की गुप्त बैठक आयोजित करने का अब तक कोई अवसर नहीं आया है।उन्होंने पुराने लोगों के साथ अपनी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए गुप्त बैठक का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, नेहरू इससे सहमत नहीं हुए और कहा कि जनता को यह बात पता होनी चाहिए।

Share with your Friends

Related Posts