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नई दिल्ली(ए)। केंद्र सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 32 नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली है। यह कदम केंद्रीय गृह मंत्रालय की समीक्षा समिति द्वारा लिया गया है, जिसने हाल ही में यह फैसला लिया है। इस सूची में उन नेताओं के नाम शामिल हैं जो पिछले साल लोकसभा चुनावों में हार चुके थे। गृह मंत्रालय का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो सुरक्षा जरूरतों का आकलन करने के बाद लागू की जाती है।
बीजेपी नेताओं की सुरक्षा क्यों हटाई गई?
गृह मंत्रालय ने बुधवार, 26 फरवरी 2025 को यह निर्णय लिया कि पश्चिम बंगाल के 32 बीजेपी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली जाए। इन नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला, पूर्व सांसद दशरथ तिर्की, बीजेपी नेता शंकुदेव पांडा और पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा, उन उम्मीदवारों के नाम भी लिस्ट में हैं जो हाल ही में लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उम्मीदवारों से हार गए थे, जैसे कि डायमंड हार्बर के अभिजीत दास और पूर्व विधायक दीपक हलदर।
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अभिजीत दास का बयान
डायमंड हार्बर से लोकसभा चुनाव हारने वाले बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत दास ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं फिलहाल हरिद्वार में हूं और मुझे इस मामले में कोई सूचना नहीं मिली है। यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो हर तीन महीने में की जाती है। गृह मंत्रालय सुरक्षा के लिए सूची जारी करता है और फिर सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। पिछले 6.5 सालों में मैंने ऐसा कई बार देखा है।”
बीजेपी सांसद समिक भट्टाचार्य का बयान
बीजेपी के सांसद और राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने इस मामले पर बयान दिया और कहा, “यह एक नियमित प्रक्रिया है। केंद्र यह तय करता है कि किसे सुरक्षा की जरूरत है और उसी के अनुसार सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसमें कोई राजनीतिक कारण नहीं है। गृह मंत्रालय को लगता है कि कुछ नेताओं को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है और इसलिए यह कदम उठाया गया है।”