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नई दिल्ली(ए)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध कठोर होगा इसलिए छह साल का प्रतिबंध पर्याप्त है। वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका के जवाब में दायर एक हलफनामे में, केंद्र सरकार ने कहा कि अयोग्यता की अवधि तय करना पूरी तरह से संसद के अधिकार क्षेत्र में है। इसमें कहा गया है कि दंड के क्रियान्वयन को एक उपयुक्त समय तक सीमित कर, रोकथाम सुनिश्चित की गई है और अनावश्यक कठोर कार्रवाई से बचा गया है।
केंद्र ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि दंड या तो समय या मात्रा के अनुसार निर्धारित होते हैं। हलफनामे में कहा गया है, ‘‘यह दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों के व्यापक प्रभाव हैं और वे स्पष्ट रूप से संसद की विधायी नीति के अंतर्गत आते हैं तथा इस संबंध में न्यायिक समीक्षा की रूपरेखा में उपयुक्त परिवर्तन करना पड़ेगा।’’ केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का संविधान के आर्टिकल 102 और 191 पर इस मामले में भरोसा पूरी तरह से गलत है।
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संविधान के आर्टिकल 102 और 191 संसद के किसी भी सदन, विधान सभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए अयोग्यता से संबंधित हैं। केंद्र ने कहा कि अनुच्छेद 102 और 191 के खंड (ई) संसद को अयोग्यता को नियंत्रित करने वाले कानून बनाने की शक्ति देते हैं और इसी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए 1951 का अधिनियम बनाया गया था।