बिलासपुर। पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा, न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान शासन ने कहा कि याचिका अभी प्रीमेच्योर है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी तय की है।
याचिकाकर्ता नरेश रजवाड़े ने याचिका में कहा है कि राज्य शासन ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया है। सरकार बीते वर्ष 3 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश-2024 ला चुकी है। अध्यादेश जारी होने के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के 16 जनवरी से 20 जनवरी 2024 तक के सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराया गया है।
केवल इसे विधानसभा के पटल पर रखा गया है, जिसके कारण यह अध्यादेश वर्तमान में विधि-शून्य और औचित्यहीन हो गया है। वहीं राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कहा कि 3 दिसंबर 2024 को अध्यादेश लाया गया था। वहीं 16 दिसंबर से 20 दिसंबर 2024 को विधानसभा की बैठक में रखा गया। अध्यादेश के पारित होने को लेकर अनुच्छेद 213(2) के तहत राज्यपाल से सहमति है। राज्य की विधानसभा के समक्ष पुनः प्रस्तुत होने से छह सप्ताह की समाप्ति में प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है और उस पर सहमति हो जाती है।
यह अवधि 27 जनवरी 2025 को पूरी होगी। अध्यादेश पारित हुए बिना इसे चैलेंज नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कैबिनेट की पूर्व बैठक में सार्वजनिक किए एक निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसमें आरक्षण संबंधी संशोधन अध्यादेश को 6 महीने आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। वहीं नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के नोटिफिकेशन जारी होने की याचिका पर प्रभाव की बात भी कही। जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को गंभीरता से सुनकर अगली सुनवाई 27 जनवरी को तय की है।