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नई दिल्ली(ए)। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने सभी पंजीकृत डॉक्टरों को जारी आदेश में कहा है कि सर्जरी, बाल चिकित्सा, स्त्री रोग या फिर त्वचा विज्ञान जैसे विषयों पर आधारित कोई खास डिप्लोमा करते हैं, जिसके लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण और परीक्षाओं की आवश्यकता होती है। इसे पूरा करने के बाद एक्यू प्रमाण पत्र लेना सभी के लिए अनिवार्य है। इसके लिए राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान शिक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) ने ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा भी दी है।
एनएमसी ने दी जानकारी
एनएमसी के मुताबिक, अक्सर एक डॉक्टर अपने क्लिनिक या अस्पताल में नाम के साथ कई अलग अलग तरह की डिग्री और डिप्लोमा लिखते हैं। इनमें से कई नाम ऐसे भी होते हैं जिनके बारे में न कभी सुना गया और न कभी उसकी मान्यता के बारे में कोई जानकारी है। किसी भी डॉक्टर को अतिरिक्त शिक्षा लेने से इंकार नहीं कर सकते क्योंकि यह उनका अधिकार है लेकिन यह शिक्षा सही प्रणाली और मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।
एनएमसी के मुताबिक, अक्सर एक डॉक्टर अपने क्लिनिक या अस्पताल में नाम के साथ कई अलग अलग तरह की डिग्री और डिप्लोमा लिखते हैं। इनमें से कई नाम ऐसे भी होते हैं जिनके बारे में न कभी सुना गया और न कभी उसकी मान्यता के बारे में कोई जानकारी है। किसी भी डॉक्टर को अतिरिक्त शिक्षा लेने से इंकार नहीं कर सकते क्योंकि यह उनका अधिकार है लेकिन यह शिक्षा सही प्रणाली और मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।
शिक्षा मान्यता प्राप्त होना जरूरी
एनएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उदाहरण देते हुए बताया कि एमबीबीएस और एमडी या एमएस की डिग्री लेने के बाद अक्सर डॉक्टर मरीजों की सेवा के दौरान त्वचा विज्ञान या फिर नेत्र देखभाल के लिए नेत्र विज्ञान में डिप्लोमा लेते हैं। मस्कुलोस्केलेटल विकारों के लिए हड्डी रोग और हृदय रोगों में उन्नत प्रशिक्षण के लिए कार्डियोलॉजी में फेलोशिप तक करते हैं। यह शिक्षा और प्रशिक्षण उनके अनुभव को और बेहतर बनाने में सहायक होता है जिसका लाभ उनके मरीजों को होता है। इसलिए यह शिक्षा मान्यता प्राप्त होना और भी जरूरी है।
एनएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उदाहरण देते हुए बताया कि एमबीबीएस और एमडी या एमएस की डिग्री लेने के बाद अक्सर डॉक्टर मरीजों की सेवा के दौरान त्वचा विज्ञान या फिर नेत्र देखभाल के लिए नेत्र विज्ञान में डिप्लोमा लेते हैं। मस्कुलोस्केलेटल विकारों के लिए हड्डी रोग और हृदय रोगों में उन्नत प्रशिक्षण के लिए कार्डियोलॉजी में फेलोशिप तक करते हैं। यह शिक्षा और प्रशिक्षण उनके अनुभव को और बेहतर बनाने में सहायक होता है जिसका लाभ उनके मरीजों को होता है। इसलिए यह शिक्षा मान्यता प्राप्त होना और भी जरूरी है।