भोपाल(ए)। आयुर्वेद चिकित्सा में स्नातक (बीएमएमएस) पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए अब कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। कक्षा 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद भी इसमें प्रवेश लिया जा सकता है। इसके लिए अलग से नीट यूजी परीक्षा आयोजित की जाएगी। हालांकि इस पाठ्यक्रम के लिए हर राज्य में एक-दो संस्थान ही होंगे। ये संस्थान आयुर्वेद गुरुकुलम के नाम से जाने जाएंगे। विद्यार्थियों को यहां रहकर अध्ययन करना होगा। इनका अस्पताल भी अलग से होगा। यह पाठ्यक्रम साढ़े सात वर्ष का होगा। शिक्षण सत्र प्रतिवर्ष अक्टूबर में प्रारंभ होगा। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआइएसएम) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। 2025-26 के सत्र से प्रवेश प्रारंभ हो जाएगा। एनसीआइएसएम लगभग एक वर्ष से इसकी तैयारी में लगा था।
प्रवेश प्रक्रिया और मापदंड
पाठ्यक्रम, प्रवेश प्रक्रिया और अन्य मापदंड निर्धारित कर दिए गए हैं। इसके तहत साढ़े सात वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम में प्रारंभिक दो वर्ष प्री-आयुर्वेद व साढ़े चार वर्ष का बीएएमएस के साथ एक वर्ष की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप होगी। प्री-आयुर्वेद में विद्यार्थियों को संस्कृत और अन्य ऐसे विषय पढ़ाए जाएंगे, जो आयुर्वेद के हिसाब से जरूरी हैं, पर बायो ग्रुप के विद्यार्थी 11वीं-12वीं में नहीं पढ़ रहे थे। प्रवेश परीक्षा के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष रहेगी।
पाठ्यक्रम का उद्देश्य आयुर्वेद चिकित्सक
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डा. राकेश पाण्डेय ने कहा कि इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य शुरू से ही छात्रों को संस्कृत भाषा के ग्रंथों का पूर्ण अध्ययन कराकर आयुर्वेद चिकित्सक बनाना है। पहले दो वर्षों में छात्रों को संस्कृत, अंग्रेजी या भारतीय भाषाएं, भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, गणित, जीवविज्ञान व आयुर्वेद का परिचय पढ़ाया जाएगा।