नई दिल्ली (ए)। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा स्पीकर जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि देश में निराशा के पुराने दौर की जगह उम्मीद और संभावना का माहौल है, जोवैश्विक स्तर पर भारत की ताकत के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि सीमाओं के भीतर और बाहर ऐसी ताकतें होंगी, जो नहीं चाहेंगी कि भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरे और देश के युवाओं को अपने काम से ऐसी ताकतों का जवाब देना होगा। बता दें कि रविवार को कृष्णगुरु इंटरनेशनल स्पिरिचुअल यूथ सोसाइटी के 21वें द्विवार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए उपराष्ट्रपति धनखड़ पहुंचे जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया।
धनखड़ का दावा
उन्होंने सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा कि दस साल पहले, माहौल निराशा और निराशा का था। अब हम उम्मीद और संभावना का माहौल देख रहे हैं। यह हमारे महापुरुषों और संतों के योगदान की वजह से है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब वैश्विक स्तर पर एक ताकत है। उन्होंने कहा जब भारत आगे बढ़ रहा है, तो कुछ लोगों को ठेस पहुंचनी तय है। कुछ देश के भीतर हैं और कुछ बाहर हैं।
युवाओं पर जताया विश्वास
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि युवा अपने अर्जित ज्ञान और देश के लिए उपयोग के जरिए इन लोगों को जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि देश की आध्यात्मिक शक्ति भारत के उत्थान के केंद्र में है और उन्होंने युवाओं से आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने तथा उसमें राष्ट्रवाद और आधुनिकता की भावना भरने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों के बीच अंतर “हमारी 5,000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत है, जो दुनिया में बेजोड़ है और जिसे हमारे महापुरुषों ने चुनौतियों का सामना करते हुए भी जीवित रखा है।
इसके साथ ही उन्होंने उल्लेख किया कि आध्यात्मिक नेता कृष्णगुरु ऐसे महापुरुषों में से थे जिन्होंने लोगों की चेतना को आकार दिया। धनखड़ ने यह भी कहा कि कृष्णगुरु सेवाश्रम की गतिविधियां केवल सम्मेलन आयोजित करने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसके ट्रस्ट द्वारा संचालित विश्वविद्यालय जैसे अन्य पहलू भी हैं जो देश के युवाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अनूठी आध्यात्मिक विरासत रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में समाहित है और युवाओं को इन ग्रंथों के ज्ञान का पता लगाना चाहिए और उसका अभ्यास करना चाहिए।
नैतिक जीवन का समझाया अर्थ
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि नैतिक जीवन निस्वार्थ कार्य और कर्तव्य का महत्व हमारे युवाओं को इन बातों को याद रखना चाहिए और उनके अनुसार अपना जीवन जीना चाहिए। इसके साथ ही धनखड़ ने देश की आर्थिक वृद्धि पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि जब आप आध्यात्मिक जागृति के लिए प्रयास करते हैं, तो हमारे लिए एक और जागृति सामने आ रही है। यह भारत का क्रमिक और निरंतर उत्थान है।