नईदिल्ली (ए)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी के कारण हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, बदलती जनसांख्यिकी मेरे लिए एक गंभीर मुद्दा है। असम में 1951 में मुस्लिम आबादी 12 प्रतिशत थी जो आज बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है जोकि चिंता का विषय है। झारखंड की राजधानी रांची में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही हमने कई जिलों से अपना नियंत्रण खो दिया है इसे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं कहा जा सकता ये मेरे लिए जीवन मरण का मामला है। बता दें कि हिमंता को बीजेपी ने झारखंड चुनाव के लिए सह-प्रभारी बनाया है।
घुसपैठियों पर लगाम लगाना जरूरी
सरमा ने घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि घुसपैठिए झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ने से पहले शुरू में असम और पश्चिम बंगाल में प्रवेश करते हैं। उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकारों को दिए गए हवाला का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने अवैध अप्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने का आदेश दिया गया था। हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बात पर भी जोर दिया कि घुसपैठियों पर लगाम लगाना केंद्र नही बल्कि राज्य सरकारों की जिम्मेंदारी है सरमा ने कहा मैं इस तरह के मुद्दे रोजाना संभालता हूं। अगर अन्य राज्य की सरकारें ऐसा नही कर रही और दिल्ली से हस्तक्षेप की उम्मीद करती है तो उन्हें हट जाना चाहिए हम यह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। 1 जुलाई को भी बिस्वा सरमा ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना कहा था एक ‘विशेष धर्म’ के लोगों के एक वर्ग द्वारा आपराधिक गतिविधियां चिंता का विषय हैं।
सांप्रदायिकता नही बर्दाश्त
आगे जिक्र करते हुए असम के सीएम ने कहा, ‘मैँ यह नही कह रहा कि अपराध केवल एक विशेष धर्म के लोगों द्वारा किया जाता है पर हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद हुई घटनाएं चिंता का विषय है’। इसी तरह 23 जून को सरमा ने दावा किया था कि बांग्लादेशी अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों ने राज्य और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा किए गए विकास कार्यों पर विचार किए बिना, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया. उन्होंने यह भी कहा कि असम में बांग्लादेशी मूल का अल्पसंख्यक समुदाय ही एकमात्र ऐसा समुदाय है जो सांप्रदायिकता में लिप्त है।