Home देश-दुनिया एसबीआई और गोल्डमैन सैश ने अलग-अलग रिपोर्ट के जरिये बजट के लिए दी सलाह, जमा पर कर व्यवस्था में बदलाव जरूरी

एसबीआई और गोल्डमैन सैश ने अलग-अलग रिपोर्ट के जरिये बजट के लिए दी सलाह, जमा पर कर व्यवस्था में बदलाव जरूरी

by admin

नई दिल्ली (ए)। मोदी 3.0 के पहले बजट में पेंशन योजनाओं में सुधार लाने के साथ जमा पर कर व्यवस्था में बदलाव देखने को मिल सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार सृजन के लिए भी कुछ घोषणाएं हो सकती हैं। 23 जुलाई, 2024 को पेश होने वाले पूर्ण बजट के लिए एसबीआई रिसर्च और गोल्डमैन सैश ने अलग-अलग रिपोर्ट के जरिये सरकार को कई मोर्चे पर सलाह दी है। एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा, बजट में सरकार को बैंक जमा पर अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तरह कर लगाने, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) व अन्य पेंशन उत्पादों में सुधार लाने और ग्राहक निवारण प्रणाली को बेहतर बनाने पर गौर करना चाहिए। पेंशन प्रणाली के मोर्चे पर बजट में निवेश विकल्पों में लचीलापन लाने के साथ महंगाई संरक्षित एन्युटी उत्पादों की शुरुआत की जा सकती है।

एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार और रिपोर्ट के लेखक सौम्यकांति घोष ने कहा, घरेलू बचत को बढ़ाने के लिए सरकार को बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज पर म्यूचुअल फंड/इक्विटी बाजारों की तरह मैच्योरिटी पर समान कर लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा, 2022-23 में शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत घटकर जीडीपी का 5.3 फीसदी रह गई। 2023-24 में इसके 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है। अगर हम म्यूचुअल फंड के अनुरूप जमा दरों को आकर्षक बनाते हैं, तो घरेलू वित्तीय बचत को बढ़ावा मिल सकता है। लोग अतिरिक्त खर्च करेंगे, जिससे सरकार को अधिक जीएसटी राजस्व मिलेगा। गोल्डमैन सैश ने अपनी रिपोर्ट में कहा, सरकार विनिर्माण व एमएसएमई के लिए सुलभ कर्ज उपलब्ध कराने, वैश्विक क्षमता केंद्रों का विस्तार कर सेवाओं के निर्यात और घरेलू खाद्य आपूर्ति शृंखला पर जोर देकर रोजगार सृजन को बढ़ावा दे सकती है।

एमएसएमई : अलग से पीएलआई की जरूरत, घटेगी आयात निर्भरता
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भूमिका को देखते हुए एसबीआई रिसर्च ने इस क्षेत्र के लिए अलग से उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की वकालत की है। रिपोर्ट के मुताबिक, एमएसएमई का देश के निर्यात में 45 फीसदी व विनिर्माण सकल मूल्य वर्धित में 40 फीसदी योगदान है। 

  • एमएसएमई के लिए समर्पित पीएलआई योजना न सिर्फ उनके विस्तार का समर्थन करेगी, बल्कि आयात पर भारत की निर्भरता भी कम करेगी। खासकर चीन जैसे देशों से।
  • लक्षित प्रोत्साहन और समर्थन के साथ एमएसएमई को सशक्त बनाकर भारत अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ा सकता है और वैश्विक बाजार में स्थिति मजबूत कर सकता है।

कल्याणकारी कदमों के लिए सीमित गुंजाइश
गोल्डमैन सैश ने कहा, सरकारी कर्ज के ऊंचे स्तर पर होने से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने वाले कल्याणकारी कदम उठाने के लिए राजकोषीय गुंजाइश सीमित है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसदी पर सीमित रखने के अंतरिम बजट में घोषित लक्ष्य पर टिकी रह सकती हैं। उधर, एसबीआई ने कहा, राजकोषीय मोर्चे पर ध्यान देते हुए सरकार को 4.9 फीसदी के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखना चाहिए।

एमएसपी व्यवस्था की खामियां दूर करनी होंगी
एसबीआई ने कहा…सरकार को राजकोषीय बोझ घटाने और किसानों को उनकी फसलों की बेहतर कीमत दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को नए तरीके से पेश करने की जरूरत है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए खरीद में निजी कंपनियों को भी शामिल किया जा सकता है।

  • मौजूदा एमएसपी में कई खामियां हैं। इस पर हो रही सियासत का विकल्प तलाशने की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा एमएसपी नीतियां व्यापार और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को कम करती हैं।
Share with your Friends

Related Posts