नईदिल्ली (ए)। रेत के अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि वे तमिलनाडु के पांच जिला अधिकारियों को अनावश्यक रूप से परेशान न करें। दरअसल, राज्य ने अदालत में शिकायत करते हुए कहा था कि उनके अधिकारियों को रात साढ़े आठ बजे तक ईडी दफ्तर में बैठाया रखा गया। बता दें. इससे पहले दो अप्रैल को अदालत ने पांचों जिला अधिकारियों को ईडी के समक्ष पेश न होने के कारण फटकार लगाई थी। साथ ही अदालत ने पांचों अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे 25 अप्रैल तक ईडी के समक्ष पेश हों।
सोमवार को न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जिला कलेक्टर ईडी के सामने पेश हुए थे। इस पर ईडी के वकील ने कहा कि वे ईडी के समझ पेश जरूर हुए लेकिन उन्होंने अभी तक एजेंसी को एक भी दस्तावेज नहीं सौंपे हैं।
सिब्बल ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने समन के जरिए जो कुछ भी मांगा था, वह सब कुछ दे दिया गया है। इस पर ईडी के वकील ने कहा कि ऐसा कोई भी दस्तावेज जमा नहीं किया गया है और हम मामले में हलफनामा भी दायर कर सकते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वे साफ करें कि अभी तक अधिकारियों ने कौन-कौन से दस्तावेज जमा नहीं किए हैं और इस बारे में एक रिपोर्ट दायर की जाए। पीठ ने मामले की सुनवाई जुलाई तक के लिए टाल दी है।
दो अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पांचों कलेक्टरों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वे रेत खनन मामले में समन का जवाब देने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश नहीं होते तो मुश्किल में पड़ सकते हैं।
पीठ ने ईडी के समन पर अधिकारियों के पेश नहीं होने पर आपत्ति जताई थी। पीठ ने कहा था कि इससे पता चलता है कि अधिकारियों के मन में न तो अदालत का सम्मान है और न ही कानून का। इस तरह के दृष्टिकोण की कड़ी निंदा की जाती है। अदालत ने उन्हें 25 अप्रैल को सभी डाटा के साथ ईडी के सामने पेश होने का आखिरी मौका दिया था।