Home देश-दुनिया बैंक अकाउंट फ्रीज: कांग्रेस बोली- हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं, भाजपा का पलटवार- हार का बहाना, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

बैंक अकाउंट फ्रीज: कांग्रेस बोली- हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं, भाजपा का पलटवार- हार का बहाना, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

by admin

नईदिल्ली (ए)। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा अपने बैंक खाते फ्रीज करने के मामले में कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। सुप्रीम कोर्ट जाने से आधे घंटे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पार्टी हेडक्वार्टर में 49 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

तीनों नेताओं ने एक सुर में कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले बैंक खातों को फ्रीज करवाकर केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को कमजोर और पंगु बनाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में फ्री और फेयर इलेक्शन की बात कैसे हो सकती है। इस पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने कहा- कांग्रेस हार के डर से बहाने ढूंढ रही है।

 

खड़गे ने कहा- लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं और सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिले। ED, IT और अन्य स्वतंत्र संस्थाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं होना चाहिए। ये नहीं कि जो सत्ता में है, संसाधनों पर उनकी मोनोपॉली हो और देश की संस्थाओं पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनका नियंत्रण हो।

सोनिया गांधी का स्टेटमेंट:

चुनाव से ठीक पहले पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करके कांग्रेस को पंगु बनाने की कोशिश की जा रही है। ये लोकतंत्र पर हमला है। पिछले एक महीने से हम हमारे 285 करोड़ का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। अगर हम कोई काम नहीं कर सकते तो लोकतंत्र कैसे जिंदा रहेगा।

 

मल्लिकार्जुन खड़गे का स्टेटमेंट:

सुप्रीम कोर्ट ने जिस चुनावी चंदे की स्कीम को अवैध व असंवैधानिक कहा, उस स्कीम के तहत BJP ने हजारों-करोड़ रुपए अपने बैंक खातों में भर लिए हैं। वहीं, दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल (कांग्रेस) का बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया है, ताकि हम पैसों के अभाव में बराबरी के साथ चुनाव न लड़ पाएं। यह सत्ताधारी दल द्वारा खेला गया एक खतरनाक खेल है

कांग्रेस को जनता पूरी तरह से खारिज कर देगी और ऐतिहासिक हार के डर से उनके शीर्ष नेतृत्व ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय लोकतंत्र और संस्थानों के खिलाफ बयानबाजी की। वे आसानी से अपनी अप्रासंगिकता का दोष ‘वित्तीय परेशानियों’ पर मढ़ रहे हैं। दरअसल, उनका दिवालियापन आर्थिक नहीं, बल्कि नैतिक और बौद्धिक है।अपनी गलतियों को सुधारने के बजाय, कांग्रेस अपनी परेशानियों के लिए अधिकारियों को दोषी ठहरा रही है। चाहे ITAT हो या दिल्ली HC, उन्होंने कांग्रेस से नियमों का पालन करने, बकाया करों का भुगतान करने के लिए कहा है लेकिन पार्टी ने कभी ऐसा नहीं किया।

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