नई दिल्ली (ए)। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पी वी नरसिम्हा राव और ‘हरित क्रांति के जनक’ एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के फैसले से देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वालों की संख्या 53 हो गई है। इनमें से पांच शख्सियतों को 2024 में यह सम्मान देने की घोषणा की गई, जो अब तक एक वर्ष में अधिकतम संख्या है। इससे पहले, 1999 में चार शख्सियतों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पी वी नरसिम्हा राव और मशहूर वैज्ञानिक व देश में ‘हरित क्रांति के जनक’ डॉ एम एस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता चौधरी चरण सिंह ऐसे समय में कांग्रेस विरोधी राजनीति की धुरी के रूप में उभरे थे, जब देश भर में पार्टी का वर्चस्व था। राव को आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है।
प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे 1960 और 1970 के दशक के दौरान पूरे भारत में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उन्हें चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करने और भारतीय कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास करने का श्रेय दिया जाता है। पिछली बार, 2019 में भारत रत्न सम्मान प्रणब मुखर्जी और मरणोपरांत भूपेन्द्र कुमार हजारिका और नानाजी देशमुख को प्रदान किया गया था। 2020 से 2023 के बीच यह सम्मान किसी को नहीं दिया गया।
1954 से हुई शुरूआत
भारत सरकार ने 1954 में दो नागरिक पुरस्कार-भारत रत्न और पद्म विभूषण – की शुरुआत की थी। पद्म विभूषण की तीन श्रेणियां थीं- पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग। बाद में आठ जनवरी, 1955 को राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के माध्यम से इनका नाम बदलकर पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री कर दिया गया। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह समाज के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर के प्रदर्शन को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को सिफारिश की जाती है। इस पुरस्कार के लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की आवश्यकता नहीं है।
यह सम्मान 2019, 1997, 1992, 1991, 1955 और 1954 सहित कई अवसरों पर एक वर्ष में तीन व्यक्तियों को दिया गया था। 2015, 2014, 2001, 1998, 1990, 1963 और 1961 सहित कई अवसरों पर यह दो व्यक्तियों को दिया गया, जबकि ऐसे वर्ष भी रहे हैं जब यह सम्मान किसी को भी प्रदान नहीं किया गया था। पहले वर्ष में, यह प्रतिष्ठित सम्मान सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और चंद्रशेखर वेंकटरमन को प्रदान किया गया था।
इन हस्तियों को मिला देश का सर्वोच्च सम्मान
पूर्व में इस पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में सी राजगोपालाचारी (1954), सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954), सी.वी. रमन (1954), भगवान दास (1955), एम. विश्वरवैया (1955), जवाहरलाल नेहरू (1955), गोविंद बल्लभ पंत (1957), धोंडो केशव कर्वे (1958), बिधन चंद्र रॉय (1961), पुरुषोत्तम दास टंडन (1961), राजेंद्र प्रसाद (1962), जाकिर हुसैन (1963), पांडुरंग वामन काणे (1963), लाल बहादुर शास्त्री (1966), इंदिरा गांधी (1971), वी.वी. गिरी (1975), कामराज (1976), मदर टेरेसा (1980), विनोबा भावे (1983), खान अब्दुल गफ्फार खान (1987), एम.जी. रामचंद्रन (1988), भीमराव अंबेडकर (1990), नेल्सन मंडेला (1990), राजीव गांधी (1991) और सरदार वल्लभभाई पटेल (1991) शामिल हैं।
इसके अलावा मोरारजी देसाई (1991), अबुल कलाम आजाद (1992), जेआरडी टाटा (1992), सत्यजीत रे (1992), गुलजारी लाल नंदा (1997), अरूणा आसफ अली (1997), एपीजे अब्दुल कलाम (1997), एम.एस. सुब्बूलक्ष्मी (1998), चिदंबरम सुब्रमण्यम (1998), जयप्रकाश नारायण (1999), अमर्त्य सेन (1999), गोपीनाथ बोर्दोलोई (1999), रविशंकर (1999), लता मंगेशकर (2001), बिस्मिल्लाह खान (2001), भीमसेन जोशी (2009), सीएनआर राव (2014), सचिन तेंदुलकर (2014), मदन मोहन मालवीय (2015), अटल बिहारी वाजपेई (2015), प्रणव मुखर्जी (2019), नानाजी देशमुख (2019), भूपेन हजारीका (2019), कर्पूरी ठाकुर (2024), लाल कृष्ण आडवाणी (2024), चौधरी चरण सिंह (2024), पी. वी. नरसिंह राव (2024) और एम एस स्वामीनाथन (2024) के नाम शामिल हैं। सम्मान के तहत राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है। सम्मान में कोई धनराशि नहीं दी जाती है।