नई दिल्ली (ए)। झारखंड लैंड फ्रॉड केस मामले को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चर्चा में हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री सोरेन रविवार रात से मंगलवार दोपहर तक अचानक ‘गायब’ हो गए. उनके गायब होने की खबरें मीडिया सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई. हालांकि 12 घंटे के बाद उनके अचानक सामने आने के बाद पूरा सस्पेंस खत्म हो गया. हालांकि, इस बीच करीब 30 घंटे तक ED, हेमंत सोरेन के पता नहीं लगा पाई.
मंगलवार दोपहर बाद अचानक खबर आई कि हेमंत सोरेन रांची स्थिति मुख्यमंत्री आवास में मौजूद हैं. इसके बाद उन्होंने मंगलवार शाम को गठबंधन के विधायकों और अपने कैबिनेट के मंत्रियों के साथ बैठक की. हेमंत सोरेन के गायब होने और फिर उनके अचानक सामने आने का पूरा घटनाक्रम रविवार से शुरू हुआ जो मंगलवार दोपहर तक चला. इस बीच, झारखंड की राजनीति में एक जोरदार चर्चा ने जोर पकड़ी और वो ये रही कि अगर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया जाता है तो कल्पना सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हो सकती हैं.
झारखंड लैंड फ्रॉड केस, हेमंत सोरेन का दिल्ली पहुंचना और फिर गायब होना… फिर अचानक रांची के मुख्यमंत्री आवास में उनकी मौजूदगी… आइए इस घटनाक्रम के पीछे के कारणों के बारे में जानते हैं. दरअसल, पिछले हफ्ते हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में ED की ओर से 10वां समन जारी किया गया था. समन में हेमंत सोरेन को 29 जनवरी या 31 जनवरी को अपनी उपलब्धता की पुष्टि करने के लिए कहा गया था. जानकारी के मुताबिक, हेमंत सोरेन की ओर से केंद्रीय जांच एजेंसी को एक ईमेल में 31 जनवरी को दोपहर 1 बजे के आसपास अपने रांची आवास पर पूछताछ के लिए उपस्थित होने पर सहमति व्यक्त की.
कब और क्यों दिल्ली निकले थे हेमंत सोरेन?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 27 जनवरी यानी शनिवार की रात सोरेन रांची से दिल्ली के लिए रवाना हुए. हालांकि उनकी अचानक दिल्ली यात्रा के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM के एक विधायक के मुातबिक, मुख्यमंत्री सोरेन झारखंड में मौजूदा स्थिति के संबंध में कानूनी परामर्श के लिए दिल्ली गए थे. कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने दिल्ली पहुंचने के बाद एक वकील से मुलाकात की है. अब संभावना जताई जा रही है कि दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा की मांग के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
हेमंत के अचानक गायब होने की कहानी
दरअसल, हेमंत सोरेन जब 27 जनवरी की रात दिल्ली पहुंचे तो जांच एजेंसी यानी ED को इसकी जानकारी मिली. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में अपने कार्यक्रमों के बाद, झारखंड के मुख्यमंत्री को एक निजी कंपनी के मालिकाना हक वाले चार्टर्ड विमान से रांची के लिए उड़ान भरनी थी. चार्टर विमान को शनिवार रात दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर पार्किंग बे में देखा गया था. इसकी जानकारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तुरंत दिल्ली एयरपोर्ट पर एक टीम तैनात कर दी.
कहा जा रहा है कि सोमवार सुबह ED की एक टीम झारखंड के मुख्यमंत्री से पूछताछ करने के लिए दक्षिणी दिल्ली में सोरेन के 5/1 शांति निकेतन आवास पर पहुंची. यहां जांच अधिकारियों को जानकारी मिली कि हेमंत सोरेन घर पर नहीं हैं. इसके बाद जांच एजेंसी ने उनके दिल्ली स्थित आवास पर 13 घंटे तक तलाशी ली और डेरा डाले रखा. इस दौरान ED की टीम ने उनके आवास से करीब 36 लाख रुपये नकद, दो हरियाणा रजिस्टर्ड BMW कारें और कुछ दस्तावेज बरामद किए.
उधर, हेमंत सोरेन का पता नहीं चलने के बाद केंद्रीय एजेंसी ने कथित तौर पर दिल्ली पुलिस को सतर्क किया और अपने सीनियर अधिकारियों को दिल्ली से बाहर जाने वाली सीमाओं पर अधिक पिकेट लगाने और जांच करने को कहा. इसके बावजूद हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय को चकमा दे दिया और दिल्ली से 1292 किलोमीटर की सड़क यात्रा कर रांची पहुंच गए.
भाजपा सांसद का आरोप- केजरीवाल ने की सोरेन की मदद
उधर, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोरेन को दिल्ली से वाराणसी पहुंचने में मदद की. निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि हेमंत सोरेन को दिल्ली से निकालने में केजरीवाल ने मदद की. इसके बाद वाराणसी से हेमंत सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा के मंत्री मिथलेश ठाकुर रांची ले गए.