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नईदिल्ली (ए)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश की पहली रैपिड रेल लोगों को समर्पित की। उन्होंने उन्होंने साहिबाबाद को दुहाई डिपो से जोड़ने वाली पहली रैपिड एक्स ट्रेन (RapidX Train) को भी हरी झंडी दिखाई। रैपिड रेल का नाम नमो भारत रखा गया है। वहीं, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है कि यह ट्रेन मैट्रो के जैसी है, लेकिन ऐसा नहीं है। नमो भारत ट्रेन मैट्रो से काफी अलग है जिसमें बारे में हम विस्तार से बताएंगे।
ये खूबियां रैपिड रेल को मैट्रो से काफी अलग बनाती हैं
- मेट्रो के स्टेशन एक किमी की दूरी पर हैं, जबकि नमो भारत के स्टेशनों की दूरी लगभग चार किलोमीटर है।
- मेट्रो में सामान रखने को रैक नहीं है। नमो भारत में रैक है।
- मेट्रो में प्रत्येक सीट पर लैपटॉप, मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जिंग प्वाइंट नहीं है, नमो भारत में हैं।
- मेट्रो के अंदर खानपान का सामान नहीं मिलता है, नमो भारत के प्रीमियम कोच में यह सुविधा है।
- मेट्रो में स्ट्रेचर पर मरीज ले जाने की सुविधा नहीं है, नमो भारत में है।
- मेट्रो के स्टेशन दो तल के हैं, नमो भारत के दो से चार तल तक के हैं।
- मेट्रो में प्रीमियम कोच नहीं होता है, नमो भारत में प्रीमियम कोच है।
- मेट्रो पर पुलिस पोस्ट नहीं है, नमो भारत के प्रत्येक स्टेशन पर है।
- मेट्रो में अटेंडेंट की व्यवस्था नहीं है, नमो भारत में अटेंडेंट की व्यवस्था है।
- मेट्रो के दरवाजे खुद खुलते हैं, नमो भारत के बटन दबाने के बाद खुलेंगे।
- मेट्रो की अधिकतम स्पीड 60 किमी प्रतिघंटा होती है, नमो भारत की अधिकतम स्पीड 180 किमी. प्रतिघंटा है।
- मेट्रो के एक कोच में 50 लोग बैठ सकते हैं, नमो भारत के एक कोच में 72 लोग बैठ सकते हैं।