Home छत्तीसगढ़ जनजातीय महिलाएं सीखेंगी आर्थिक उन्नति एवं उचित प्रबंधन के साथ बचत के हुनर

जनजातीय महिलाएं सीखेंगी आर्थिक उन्नति एवं उचित प्रबंधन के साथ बचत के हुनर

by admin

जनजातीय महिलाएं सीखेंगी आर्थिक उन्नति एवं उचित प्रबंधन के साथ बचत के हुनर

लघु वनोवज के भण्डारण, पैकेजिंग एवं विपणन पर आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला

रायपुर। राज्य की जनजातीय महिलाओं के लिए लघु वनोपज के भण्डारण, पैकेजिंग एवं विपणन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला 13 से 15 सितंबर तक  आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर में आयोजित की जा रही है। प्रशिक्षण के दौरान जनजातीय महिलाएं आर्थिक उन्नति और उचित प्रबंधन के साथ बचत के हुनर सीखेंगी। प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ द्वारा फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के सहयोग से संचालक सह आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी के निर्देशन में किया जा रहा है। कार्यशाला का शुभारंभ आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संयुक्त संचालक श्री प्रज्ञान सेठ एवं फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी की संचालक सुश्री मंजित कौर बल, सुश्री संगीता एवं प्रशिक्षण सह कार्यशाला में उपस्थित समूह की महिलाओं द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी की दीप प्रज्वल्लित कर किया गया।

संयुक्त संचालक श्री प्रज्ञान सेठ ने बताया कि प्रशिक्षण सह कार्यशाला का उद्देश्य जनजाति क्षेत्रों में निवासरत जनजाति महिलाओं के सर्वांगीण विकास करना है। जनजाति क्षेत्रों में की जाने वाली वनोपज संग्रहण, भंडारण एवं उसकी पैकेजिंग को आकर्षक बना कर बाजार में कैसे सुसज्जित रूप से बेच सकें। तीन दिवसीय कार्यशाला से राज्य के विभिन्न जिलों से आए स्व-सहायता समूह की जनजातीय महिलाएं वन उत्पादों के प्रोसेसिंग एवं विक्रय के लिए बाजार की उपलब्धता के बारे में जान सकंेगी। इससे उनके उत्पादों के विक्रय क्षमता में विकास होगा, जो उन्हें संबल बनाने के साथ-साथ उनका आत्मसम्मान बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। इस कार्यशाला से जनजातीय महिलाओं की आर्थिक उन्नति एवं उन्हें उचित प्रबंधन के साथ बचत का हुनर सिखाने में भी सहायक होगा।
फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी की संचालक सुश्री कौर ने कार्यशाला में  कहा कि वन उत्पादों के सही ढंग से पैकेजिंग करने से वह उत्पाद सुरक्षित रहता है और उसकी कीमत बढ़ जाती है। इस अवसर पर सुश्री संगीता ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग वनोत्पाद का संग्रहण किया जाता है जिसका प्रकृति से संतुलन स्थापित कर संग्रहण एवं उपभोग किया जाना आवश्यक है, जिससे इसकी पूर्ति निरंतर बनी रहे।

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