रायपुर। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने सरगुजा संभाग के जशपुरनगर जिले के लोदाम ग्राम में एक सड़क निर्माण कंपनी की मनमानी के चलते एक किसान लालदेव राम के आत्महत्या करने पर प्रदेश सरकार पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। साय ने कहा कि प्रदेश में सरकारी कुनीतियों और बदनीयती के चलते किसान लगातार आत्महत्या करते जा रहे हैं, लेकिन सरकार को फिर भी ख़ुद को किसानों की हितैषी बताते जरा भी लाज नहीं आ रही है। साय ने कहा कि लोदाम में उक्त कंपनी की मनमानी के कारण उससे लगे खेतों में पानी भर गया और लालदेव राम अपनी फ़सल की बुआई नहीं कर पाया है। खेती नहीं कर पाने से हताश किसान ने खुदकुशी कर ली। इस समस्या से जूझने वाले किसान और भी हैं।
यह घटना प्रदेश सरकार के घोर किसान विरोधी चरित्र की परिचायक है। साय ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार किसानों के नाम पर सिर्फ़ घड़ियाली आँसू बहाने का काम कर रही है, जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सबसे ज़्यादा अन्याय किसानों के साथ हो रहा है। किसान कभी नकली कीटनाशक के कारण, कभी प्रदेश सरकार की तुग़लक़ी गिरदावरी, कभी धान ख़रीदी के लिए रिश्वत मांगे जाने के कारण तो कभी पटवारियों की लापरवाही और आनाकानी के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। विष्णुदेव साय ने कहा कि किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार अपनी वाहवाही के इश्तिहार छपवा रही है। किसानों की लगातार मौतों ने प्रदेश को झकझोर दिया है, लेकिन किसानों की समस्या का समाधान करने में लापरवाह प्रदेश सरकार की संवेदनाएँ मर चुकी प्रतीत हो रही है। साय ने कहा कि भाजपा आत्महत्या के इस मामले की न्यायिक जाँच चाहती है और यह मांग करती है कि इस घटना के लिए ज़िम्मेदार सभी लोगों पर धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
पीड़ित किसानों ने ज़िला प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत कराए जाने के बाद भी कोई समाधानकारक पहल नहीं होना बेहद शर्मनाक है। साय ने कहा कि निर्माण कार्य के समय भी किसानों ने सड़क निर्माण कंपनी और प्रशासनिक अधिकारियों से समस्या के बारे में चर्चा की थी, लेकिन किसानों की आवाज़ को दबा दिया गया। कंपनी के अड़ियल रवैए और प्रशासन की लापरवाही के चलते किसान फ़सल नहीं लगा पाए और जैसे-तैसे मज़दूरी करके परिवार के भरण-पोषण की व्यवय्था करने विवश रहे। साय ने कहा कि सड़क निर्माण को लेकर कंपनी मनमानी कर रही है, जिसके चलते पहले भी किसान धनेश्वर ने आत्महत्या कर ली थी। आज भी वहाँ कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कई किसान परिवारों के सामने भूखों मरने की नौबत क़ायम है।