Home छत्तीसगढ़ #मकर_संक्रांति गणितीय सिद्धांत है और पर्व भी…!

#मकर_संक्रांति गणितीय सिद्धांत है और पर्व भी…!

by admin

दुर्ग-भिलाई :   मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस समय को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है।
#वर्ष_में_होती_है_१२_संक्रांतियां
पृथ्वी साढ़े २३ डिग्री अक्ष पर झुकी हुई सूर्य की परिक्रमा करती है तब वर्ष में ०४ स्थितियां ऐसी होती हैं, जब सूर्य की सीधी किरणें २१ मार्च और २३ सितंबर को विषुवत रेखा, २१ जून को कर्क रेखा और २२ दिसंबर को मकर रेखा पर पड़ती है। वास्तव में चन्द्रमा के पथ को २७ नक्षत्रों में बांटा गया है जबकि सूर्य के पथ को १२ राशियों में बांटा गया है। भारतीय ज्योतिष में इन ०४ स्थितियों को १२ संक्रांतियों में बांटा गया है जिसमें से ०४ संक्रांतियां महत्वपूर्ण होती हैं- मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति।
#आज से सूर्य होते हैं #उत्तरायण

चन्द्र के आधार पर माह के ०२ भाग हैं- कृष्ण और शुक्ल पक्ष। इसी तरह सूर्य के आधार पर वर्ष के ०२ भाग हैं- उत्तरायन और दक्षिणायन। इस दिन से सूर्य उत्तरायन हो जाता है। उत्तरायन अर्थात इस समय से धरती का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है, तो उत्तर ही से सूर्य निकलने लगता है। इसे सौम्यायन भी कहते हैं। ०६ माह सूर्य उत्तरायन रहता है और ०६ माह दक्षिणायन। मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति के बीच के ०६ मास के समयांतराल को उत्तरायन कहते हैं।
#चौबेजीकहिन
भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा है कि उत्तरायण के ०६ मास के शुभ काल में जब सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है, तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्मपद को प्राप्त होते हैं। यही कारण था कि भीष्म पितामह ने शरीर तब तक नहीं त्यागा था, जब तक कि सूर्य उत्तरायण नहीं हुए।
#१९_अप्रैल_२०२१_तक_विवाह_आदि_मांगलिक_कार्यों_के_मुहूर्त_का_अभाव_रहेगा..!
सूर्य के उत्तरायण होने से देवताओं का दिन आरंभ हो जाता है, अतः आज से विवाह आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है, किंतु इस बार १७ जनवरी २०२१ को गुरु अस्त होंगे जो १२ फरवरी २०२१ को पूर्व में उदित होंगे, और १६ फरवरी २०२१ से शुक्र पूर्व में अस्त होंगे जो १९ अप्रैल २०२१ तक अस्त रहेंगे अतः १९ अप्रैल तक विवाह आदि के मुहूर्त नहीं हैं।

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