नई दिल्ली (ए)। आजकल अक्सर सुनने को मिलता है कि पति-पत्नी कोर्ट में तलाक के लिए जाते हैं। जब वे महसूस करते हैं कि वे एक-दूसरे के साथ जीवन व्यतीत नहीं कर सकते, तो वे फैमिली कोर्ट से तलाक ले लेते हैं। यदि महिला एक हाउस वाइफ है, तो उसे एलिमनी देने का प्रावधान होता है। यह कानून खासतौर पर पति से अलग हो रही महिलाओं और उनके बच्चों की आर्थिक सहायता के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि लोग इन कानूनों का गलत फायदा उठाते हैं।
आजकल अक्सर सुनने को मिलता है कि पति-पत्नी कोर्ट में तलाक के लिए जाते हैं। यदि महिला एक हाउस वाइफ है, तो उसे एलिमनी देने का प्रावधान होता है। एक ऐसा ही मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें महिला पक्ष के वकील ने कोर्ट में हर महीने 6…
एक ऐसा ही मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें महिला पक्ष के वकील ने कोर्ट में हर महीने 6 लाख 16 हजार रुपए की एलिमनी की मांग की है। वकील का कहना है कि महिला को हर महीने अपने दैनिक खर्चों के लिए, जैसे कि कपड़े और जूते के लिए 15 हजार रुपए, फिजियोथेरेपी और खाने-पीने के लिए 60 हजार रुपए, और अन्य मेडिकल खर्चों के लिए 4 से 5 लाख रुपए की आवश्यकता होगी।
महिला जज ने इस मामले पर तीखा जवाब देते हुए कहा, “अगर एक महिला को हर महीने खुद पर 6 लाख से ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है, तो उसे खुद कमाना भी आना चाहिए। आप कोर्ट को बता रहे हैं कि उसे 6,16,300 रुपए हर महीने की आवश्यकता है, जबकि न तो उसके पास कोई बच्चा है और न ही कोई अन्य जिम्मेदारी। इतना खर्च कौन उठाता है? यदि इतना खर्च है, तो पति से क्यों मांग रही हैं? खुद कमाएं।”
जज ने इस मामले पर साफ तौर पर कहा, “यदि पति और पत्नी के बीच कोई विवाद चल रहा है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि पति को इस तरह की सजा दी जाए। ऐसा करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। यह पूरी तरह से शोषण के दायरे में आता है।” जज ने वकील को निर्देश दिया कि वे एक उचित और न्यायसंगत राशि की मांग पेश करें, अन्यथा उनकी दलील को खारिज कर दिया जाएगा। य